गज़ल
रहिजा पहिली जम्मो चुलहा मां आगी सिपचावन दे|
मनखे - मनखे के चेहरा मां हाँसी ला बगरावन दे ||
बाँह मां सपना कहाँ अमाही, नींद के कोरा छोटे हे ,
हमर साध के सोनपरी ला, डैना खोल उडावन दे
मन के बनपाँखी अरझे हे, छत्तीसगढ़ के संसों में ,
पहिली येकर जम्मो काँटा खूँटी ला अलगावन दे
हमर गोड़ के आरो बुडगे, नारा के हो हल्ला में ,
अब सिरतोन के भुइयाँ ऊपर, हमला गोड़ मढ़ावन दे
नान्हे - नान्हे छौना मन के, ननपन कहूँ गँवा गे हे ,
ये मन ला भुलवारे खातिर, तान के लोरी गावन दे
बेंदरा मन धमसा कूदिन हें, छत्तीसगढ़ के छान्ही मां ,
थोरिक अभी थिरा ले 'कौसल', टूटे खपरा छावन दे
छत्तीसगढ़ी गज़ल
मुकुंद कौशल
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