छत्तीसगढ़ के सुदूर वनांचल,जहाँ कुछ वर्षो पहले न यातायात के साधन थे ना ही आकाशवाणी रायपुर से प्रसारित छत्तीसगढ़ी गीतों को सुना जा सकता था।लेकिन मन में कुछ करने कि ललक और संगीत के आगाध प्रेम ने उन्हें एक कुशल और नामी बेंजो वादक बना दिया |
आज हम बात कर रहे है उस शख्सियत की जिसे आज सारा छत्तीसगढ़ मधुर बेंजो वादक के रूप में जानता है
वनांचल में संगीत की ललक......
वनांचल के ग्राम-बिहरीकला पोष्ट-अम्बागढ़ चौकी में 4 मार्च सन् 1968 को माता स्वं श्रीमती केजाबाई पिता स्वं श्री सुंदरलाल मेश्राम के घर जन्मे हर्ष मेश्राम ने एम.ए.समाज शास्त्र में किया हैं।वहीं अंम्बागढ़ चौकी में वर्तमान में स्वस्थ्य विभाग में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अंम्बागढ़ चौकी में पदस्थ हैं।लोकवादक हर्ष मेश्राम अपने पारिवारिक सदस्यों के प्रति आस्था के साथ वनांचल से शहर तक सांगितीक यात्रा को बडी ही कठिनाईयों के साथ तय किया है।माता-पिता और पत्नी श्रीमती रेखा मेश्राम पुत्र- शरद मेश्राम पुत्री-स्वीटी मेश्राम के परस्पर सहयोग के साथ जंगल से शहर तक यह सफर इन्हें नई दिशा कि ओंर ले आया।
जो बने इनके मार्गदर्शक.....
हर्ष मेश्राम प्रारंभ से ही अपने गुरु स्व गिरजा कुमार सिन्हा के भाँति संकोची और शर्मिले स्वभाव के हैं।वही ये पुरी तरह स्वं सिन्हा जी के वादन का अनुशरण करते है।अपनी संगीत यात्रा में गुरु तौर पर स्वं खुमान साव जी का भी स्मरण करते हैं।मार्गदर्शक गुरूओं के रूप में छत्तीसगढ़ की स्वर कोकिला श्रीमती कविता वासनिक श्री विवेक वासनिक को भी गुरु तुल्य मानते है।
चलते-चलते अपनी बात.......
यदि हम इतिहास के पन्नो को पलट कर देखे तो यह निश्चित तौर सामने आता कि बेजोड़ कलाकार हमेशां पथरिले रास्तों पर ही पाये जाते हैं।इसी सार्थक सत्यता के यदि हम देखे तो उन्हीं पंक्ति में हर्ष मेश्राम के नाम का उल्लेख करें तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है।वनांचल के इस कलाकार के संगीत के प्रति अगाध प्रेम और मेहनत बाहुबलिता को सादर नमन है।समस्त कलाकार कुनबा इनके उज्जवल भविष्य की कामना करता है।
रवि रंगारी
(ब्यूरो चीफ)
लोककला -दर्पण
राजनांदगांव
मो.9302675768
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