अईसे मांदर बजा दे गा मंदरिहा,
मैहा नाच उठंव कनिहा लचका के ।
मैहा नाच उठंव कनिहा लचका के,
मैहा नाच उठंव कनिहा मटका के ।
नाचा अऊ गाना,
देवारिन के खेती हे।
पईसा लुटावै दाऊ,
नाचा के सेती रे।
अईसे ताल तैं लगादे गा मंदरिहा,
मैहा नाच उठंव कनिहा मटका के ।
अदा मोर निराला,
अऊ नैन जोगनी हे।
नइ बांचय कोनहो,
देवारिन के मोहनी ले।
अईसे ताल तैं लगा दे गा मंदरिहा,
मैहा नाच उठंव कनिहा लचका के।
विनोद गौतम
लोक कलाकार/रंगकर्मी
मोo - 6266279214
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