लोक कला दर्पण चिन्हारी लोक संस्कृति मंच दुर्ग भिलाई के तत्वधान में ऑनलाइन द्वारा तृतीय काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।



लोक कला दर्पण चिन्हारी नारी शक्ति साहित्यिक सामाजिक लोक संस्कृति मंच दुर्ग भिलाई के तत्वधान में ऑनलाइन द्वारा तृतीय काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस भव्य काव्य गोष्ठी के मुख्य अतिथि श्रीमती संगीता निषाद व्याख्याता द्वारा दीप प्रज्ज्वलित की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता संरक्षक निशा साहू मानस प्रवक्ता ने कार्यक्रम की। सरस्वती वंदना श्रीमती इंदु साहू(संगीतकार) डोंगरगांव के द्वारा की गई। स्वागत गीत हेमा साहू (सचिव साहू मित्र सभा भिलाई) एवं दानेश्वरी साहू (संयोजिका साहू मित्र सभा) ने की। इस कार्यक्रम में रश्मि अग्निहोत्री केशकाल घाटी से कलमकार है। जो एक शिक्षिका, समाज सेविका होने के साथ हर क्षेत्र में अपना योगदान दे रही है। उन्होंने अपनी रचना

'घरों का बोझ भी उठा रही है बेटियाँ' का कविता पाठ किया।
  साक्षी साहू 'सुरभि' सहायक शिक्षक महासमुंद
ने 'गुलाब की कोमल पंखुड़िया की तरह होती है बेटियाँ, घर परिवार को स्वर्ग से बना देती है बेटियां' कविता पाठ किया।
इंद्राणी साहू साक्षी भाटापारा ने 'प्यारी प्यारी बिटिया आई, घर आंगन में खुशियां लाई'
दोहे के माध्यम से अपनी चंद पंक्तियां सुनाई।
अनुरमा शुक्ला दुर्ग से 'मेरी नन्ही परी ,मेरी बिटिया मेरी परछाई' की कविता सुनाकर सबकी आंखों में आंसू छलका दी।
   त्रिलोकी साहू जी ने कहा की 'घर की रौनक होती है बेटियां एक नहीं दो कुल को रोशन करती है बेटियाँ।' 
पूनम यादव भिलाई से बेटी की खुशियां के लिए बहुत सुंदर गीत गाया जिसके बोल थे 'बेटी जैसे श्रद्धा जब जीवन में आथे त मन  मा श्रद्धा भर देथे।' इस कविता को सुनकर नारी मन खुशी से झूम उठा।
 लीना देवी कोहका जिले से काव्य पाठ में उपस्थित हुई। उन्होंने बेटी को महान बताया है ।
सृष्टि की बेटी पर लिखी दिव्य रचना 'भव भव विभव पराभव बेटी, विश्व वंदनीय प्यारी बेटी।'
  पुष्पा गजपाल श्रीराम कॉलोनी महासमुंद से की बेटी 'आंखों का तारा जैसी' चांद सितारा जैसी, शिक्षा संस्कारों जैसी।' कविता ने संस्कार को ऊँचाई प्रदान किया है। उषा साहू ने बेटी को मान सम्मान देने की बात अपनी कविता में प्रस्तुत की है 'बेटे का क्यों मान है जग में, बेटी का क्यों मान नहीं, मुझे बताओ दुनिया वाले, बेटी क्या संतान नहीं?' साथ ही संगीता वर्मा ने कहा की बेटी को अबला नहीं समझना है 'बेटी ला अबला मत समझो' बेटी ला हाबे परिवार। बाढ़य सबके वंश इहा जी, रचे बसे सबके संसार।'काव्य से पटल को भावविभोर कर दिया। आरती साहू व्याख्याता और समाज सेविका भिलाई नगर से ने बेटी की शिक्षा की ओर प्रकाश डाला है उनका काव्य 'बेटी बचाना है संगी बेटी पढ़ाना है संगी, देखें में मा फुलवा छुए मा आगी। जेकर कोरा मे बेटी वो बड़भागी।' बहुत मनमोहक था।
  अहिल्या साहू मरोदा से की रचना 'नन्ही सी कल्पना चावला, आसमान की ओर निहारे।'और
अर्चना की 'बेटी से खुशहाली आई,  रौशन हुई सब अंगनाई, मीठे मीठे भाव रूप रूपेले, कानो में मिश्री घोले।' रचना ने पटल पर बाहर बिखेर दिया।
निशा साहू मानस प्रवक्ता बोरसी ने उत्कृष्ट और ह्रदय को छूने वाली कविता प्रस्तुत की। 'वह घर आंगन को महकाती, रचती सपनों का संसार। कोई उनसे पूछो जाकर,जब बेटी नहीं रहेगी तो बहू कहां से लाओगे?' 
 जामुन साहू रिसाली संयोजिका ने भी अपनी विदाई गीत आकर सब को भावविभोर कर दी। द्रोपती साहू महासमुंद से की रचना 'समता की बातें सभी करते हैं, पर कहीं आत्मज और आत्मजा के बीच में' बहुत सुंदर गीत गाकर भाव विभोर कर दिया। माटी पुत्री महेन्द्र देवांगन की रचना प्यारी बेटी प्रिया आल्हा छंद में प्रस्तुत की 'बेटी होथे राज दुलारी लक्ष्मी जैसे एला मान। यहूं हरे घर के दीपक जी,सबले पहली घर बिहनिया उठते,घर के करते बुता काम जी।'
अनुराधा की कन्यादान की कविता बहुत बेहतरीन रही 'बेटीयाँ सचमुच कितनी बड़ी हो जाती है, समाजिक परम्परा के सामने नतमस्तक होना पड़ता है।। समर्पण बस समर्पण।'
  विशिष्ट अतिथि के रूप में नलिनी बाजपेयी कांकेर से उन्होंने व्याख्यान दिया की सृष्टि की अनमोल धरोहर हैं बेटियां, समाज में बेटियां बहुत सुंदर कार्य कर रही है। लक्ष्मी का वरदान है बेटियां
सरस्वती का आधार है बेटियां।' नारी अपने अस्तित्व के बचाने की गुहार कर रही है। बेटियां आगे बढ़ रही है, बिटिया सौभाग्य की प्रतीक होती है वह सब के दिल में समाई हुई है। 
मैं छत्तीसगढ़ की बेटी माता कौशल्या को नमन करती हूँ। वीरांगना बिलासा की स्मृति को याद करते हुए उन्होंने नमन किया। और खैरागढ़ से शिक्षिका पद्मा साहू ने बेटी बचाने की मुहिम पर मुझे ना कोख में मारो पर कविता पाठ करते हुए बेटी को बचाने की संदेश दिया।तीजनबाई, रितु वर्मा और छत्तीसगढ़ के बहुमूल्य उभरती हुई कलाकारों और साहित्य के क्षेत्र में योगदान देने वाले कलाकारों जो छत्तीसगढ़ का सम्मान बढ़ा रहे हैं उन्हें हृदय से धन्यवाद। साथ ही सीमा साहू जो लोक कला दर्पण में निस्वार्थ भाव से कार्य कर रही है और लोक कला दर्पण के माध्यम से नए लोगों को जोड़ने का प्रयास कर रही है उन्होंने आभार और प्रोत्साहन की वे यूँ ही समर्पण भाव से कार्य करती रहें।हमारे आसपास उभरती हुई पंडवानी गायिका रूही साहू, मानस प्रवक्ता के रूप में निशा साहू, समाज सेविका के रूप में हेमा साहू कॉन्ट्रेक्टर कॉलोनी, योगिता मैंम पुलिस विभाग सेक्टर छह से सभी छत्तीसगढ़ का नाम रौशन कर रही है। 
  नलिनी बाजपेयी ने कविता के माध्यम से कहा कि 'पाना था जो मुकाम वो अभी बाकी है। अभी तो आए हो जमीन पर आसमान में उड़ान बाकी है।
लोगों ने अभी सिर्फ सुना है नाम तुम्हारा। इस नाम की पहचान बनाना बाकी है'
 मुख्य अतिथि संगीता निषाद ने कहा की बेटी को ऐसे संस्कार दो, जिससे वह राष्ट्र का नाम रौशन कर सके। लोक कला दर्प़ण में देवकुमारी बघेल ने भी अपने गीत की सुंदर प्रस्तुति दे कर पटल को शुशोभित किया। 
गायत्री साहू पत्रकार मुंबई से, आदरणीय तुलसी साहू (कांग्रेस अध्यक्ष) कौशिक हिरवानी, गुनेश्वरी सुभाष नगर दुर्ग, मान कुमार साहू सेक्टर छह, भारती, डॉ भारती, नोमिन, मंजूषा, प्रभारानी, देव कुमारी, दिव्या कलिहारी, डाँ दुलारी चंद्राकर, लीना नवागांव, एशिया, उपासना साहू, चम्पा जी, शिव जी, रूही साहू पंडवानी गायिका, अनुराधा अधिवक्ता दुर्ग, लक्ष्मी करिया रे लोक गायिका, गीता द्विवेदी, जाग्रति सार्वा, डॉ उषा रायपुर से, तारा साहू शिक्षिका दुर्ग। नैन सेक्टर छह, राजलक्ष्मी अंबिकापुर, रुकमणी चतुर्वेदी, इत्यादि प्रतिभाशाली साहित्यकारों और कवयित्रियों ने बेटी के लिए अपनी कविताएं स्वागत, विदाई छंद मुक्त रचनाओं के माध्यम से बेटी के रूप का अतिसुन्दर वर्णन कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया, संचालन पदमा साहू शिक्षिका खैरागढ़ के द्वारा की गई। आभार लीना देवी साहू ने किया साथ ही संरक्षक निशा साहू जी ने भी आभार व्यक्त किया। लोक कला दर्पण की पत्रकार, कवियित्री, समाजसेवी सीमा साहू ने सम्पूर्ण कार्यक्रम को एकसूत्र में बंधा।

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