छत्तीसगढ़ी मा मोर साहित्य लेखन के शुरुआत



साहित्य ल समाज के दर्पन कहे गेहे. साहित्य मा सबके हित छुपे रहिथे. अंतस के अावाज ह साहित्य के रुप मा सबके सामने आथे. कोनो  भी साहित्यकार ह अपन दिल के बात ल रखथे. जन कवि श्रद्धेय स्व. कोदू राम दलित जी ह लिखे हवय कि -" जइसे मुुसवा निकलथे बिल ले,वइसने कविता निकलथे दिल ले." साहित्य म पद्य अउ गद्य विधा होथे. कतको झन मन दूनों विधा मा कलम चलाथे. मोरो रुचि ह पद्य के सँगे सँग गद्य म रहे हे. मोर प्रेरणा स्रोत मोर गातियार कका स्व. लखन लाल दीपक (सुरगी, राजनांदगॉव) रिहिस हे. वोकर लेख अउ कविता 

सबेरा संकेत, नवभारत, देशबंधु, अरुणादित्य सहित गजब अकन अखबार मा छपे. मेहा  जब हाईस्कूल मा पढ़त रहेंव त कका ह मोला लेख लिखे बर प्रेरित करिस. मेहा 1992 मा सबेरा संकेत के "आपके पत्र "स्तंभ मा छुट -पुट लेख लिखे के शुरुआत करेंव.मोर गाँव के समस्या के सँगे सँग राष्ट्रीय खबर उपर अपन मति अनुसार बिचार ल रखव. लेख मन ह हिन्दी म रहय. नवभारत म घलो मोर लेख ह शामिल होय. 
पढ़ई जीवन मा जब सातवीं कक्षा पढ़त रेहेंव त सबले पहिली मेहा दूसर के कविता ल पंद्रह अगस्त मा सुनाय रेहेंव. पहिली बार मंच मा बोलेंव. जब हाईस्कूल पढ़त रेहेंव त भाषण अउ सामान्य ज्ञान मा मोर गजब रुचि रिहिस हे. 

  मेहा कविता लिखे के शुरुआत 1995 मा जब दिग्विजय कॉलेज राजनांदगांव म पढ़त रहेंव तब करेंव. जब दैनिक सबेरा संकेत दुवारा " काव्य पहल "स्तंभ के शुरुआत करे गिस. येमा जउन विषय / चित्र देय जाय वोकर उपर चार लाइन म कविता लिखना रहय. शुरु म हिन्दी म कविता लिखेंव. प्रथम तीन अउ विशेष मा जब मोर कविता ह बीच बीच मा शामिल होत गिस त मोला लगिस कि मेहा अइसने प्रयास करत रहूं त धीरे ले चार लाइन ले बढ़ के सोलह लाइन के कविता घलो लिख डरहू. मेहा पहिली छत्तीसगढ़ी कविता 26 जुलाई 1996 मा "किसान" शीर्षक ले लिखेंव. मात्र चार लाइन के रिहिस हे. एकर बाद मेहा हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी मा बरोबर ढंग ले कविता रचत गेंव. जब मेहा दिग्विजय कॉलेज राजनांदगॉव मा पढ़त रेहेंव त कॉलेज म भाषण, वाद विवाद स्पर्धा, परिचर्चा, क्वीज प्रतियोगिता के सँगे सँग कविता घलो सुनाव. राष्ट्रीय सेवा योजना के माध्यम ले मोर प्रतिभा ह उभर के सामने अइस. एनएसएस अधिकारी श्रद्धेय स्व. डॉ. नरेश कुमार वर्मा (भाटापारा, बलौदाबाजार) , डॉ. के. एल. टाण्डेकर,  प्रखर वक्ता डॉ. चन्द्र कुमार जैन , मेजर खड्ग बहादुर सिंह, प्रो. आर. पी. दीक्षित, प्रोफेसर थान सिंह वर्मा जी मन मोला प्रोत्साहन दिस.  आजादी के स्वर्ण जयंती समारोह के कड़ी मा हमर दिग्विज कॉलेज मा आयोजित परिचर्चा अउ कवि गोष्ठी मा काव्य पाठ करे रेहेंव .ये कार्यक्रम के पगरईत स्वतंत्रता संग्राम स्व. कन्हैया लाल अग्रवाल ह करे रिहिस हे. मोर सँगे सँग ये कार्यक्रम म छात्र वर्ग के तरफ ले प्रतिनिधि के रुप मा  सँगवारी सरोज मेश्राम ह आमंत्रित रिहिस हे .

मोर छत्तीसगढ़ी अउ हिन्दी कविता ह दैनिक सबेरा संकेत, दैनिक भास्कर, दैनिक दावा, नांदगांव टाइम्स,कृषक युग,कड़वा घूंट, मा प्रकाशित होय लगिस.

ये बेरा मा संस्कारधानी राजनांदगॉव मा 1995 मा पत्र लेखक मंच के गठन होगे रिहिस हे. येखर अगुवा साहित्यकार अउ लोक कलाकार श्री आत्मा राम कोशा अमात्य जी अउ सतीश भट्टड रिहिस हे. मेहा पत्र लेखक मंच के कवि गोष्ठी म भाग लेंवव. कोशा जी के सँगे सँग येमा जुड़े साहित्यकार मन मोला प्रोत्साहित करिस. 
  हमर गाँव सुरगी मा 1995 मा दुर्गा उत्सव के सुग्घर बेरा मा  छत्तीसगढ़ स्तरीय कवि सम्मेलन के आयोजन होय रिहिस हे .ये कवि सम्मेलन मा मेहा भाग तो नइ लेय रेहेंव. श्रोता के रुप म उपस्थित होके पूरा कवि सम्मेलन ल सुने रेहेंव. हमरो गाँव के गीतकार मनाजीत मटियारा ,कवि फागू दास कोसले जी अउ धर्मेन्द्र पारख मीत जी ह कविता पाठ करे रिहिस हे. ये कवि सम्मेलन ले मेहा गजब प्रभावित होयेंव. ये कवि सम्मेलन के समाचार मेहा खुदे बनायेंव. येकर पेपर कटिंग आजो मोर कर हे. 
  जब मेहा स्नातक करत रेहेंव उही साल 1997 मा 24 साल के उमर मा मोर शादी होगे. इही करा मोर नियमित पढ़ई ह छूट गे. अउ मेहा रोजी -रोटी खातिर राजनांदगांव के एक  प्राइवेट कंपनी मा काम के शुरुआत करेंव. 1997-98 मा मोर कविता लिखई 
ह बने चले लगिस. तीन -चार अखबार मा मोर कविता बने छपे ल लगिस.  1998 मा मेहा छुट पुट आंचलिक कवि सम्मेलन मा कविता पाठ करेंव. हमर गाँव सुरगी के कवि सम्मेलन ले प्रभावित होके कवि सँगवारी लखन लाल साहू लहर ह अपनो गाँव मोखला मा घलो कवि सम्मेलन करइस. आदरणीय कुबेर सिंह साहू जी ह अपन गाँव मा रामायण प्रतियोगिता के मंच मा कवि सम्मेलन रखवइस. इही साल शरद पूर्णिमा के सुग्घर बेरा मा गुण्डरदेही (बालोद जिला) मा आयोजित कवि सम्मेलन मा मेहा काव्य पाठ करेंव. ये कवि सम्मेलन मा लोक गीतकार कामता प्रसाद सिन्हा (भरदाकला, बालोद) अउ हमर गाँव सुरगी के युवा कवि भाई फकीर प्रसाद साहू फक्कड़ के सँग गे रेहेंव. उमरपोटी (उतई) मा आयोजित कवि सम्मेलन मा भाई लखन लाल साहू लहर के सँग जाके कविता पाठ करेंव.ये सब कवि सम्मेलन मा मेहा हिन्दी के सँगे सँग छत्तीसगढ़ी कविता घलो प्रस्तुत करवँ. 

 1998 मा भिलाई के साहित्यकार संदीप साहू प्रणय हा साहित्यकार सम्मान समारोह रखिस .येमा महू ला आमंत्रित करे रिहिस हे. पर मेहा प्राइवेट कंपनी के मालिक ले छुट्टी लेय के हिम्मत नइ कर पायेंव. ये प्रकार ले वो कार्यक्रम म नइ गेंव. सुरगी क्षेत्र के बाकी सँगवारी मन गिस अउ सम्मानित होइस. 
    धीरे ले मोर अउ सँगवारी मन के मन हा साहित्यिक संगठन गठन करे के होइस. आदरणीय कुबेर गुरूजी ले भेंट करके अपन बात रखेन. कुछ सँगवारी मन ल पोस्ट कार्ड लिखेन.ये प्रकार ले सहमत होके 21 मार्च 1999 मा मोर घर मा " साकेत साहित्य परिषद् सुरगी जिला राजनांदगांव "के गठन होइस. येमा शुरु ले ग्रामीण साहित्यकार मन के संख्या जादा रेहे हे. अउ इही उद्देश्य ले ये संस्था के गठन होय रिहिस हे. आज परिषद् ल चलत 22 साल होगे हे .
परिषद् के गठन होय ले अब लगातार मासिक काव्य गोष्ठी अउ परिचर्चा अलग अलग गाँव मा होय लगिस. येखर से लिखई ह घलो लगातार चलत गिस.कविता  छत्तीसगढ़ी अउ हिन्दी दूनों मा लिखवँ. पर गद्य मा हिन्दी मा ही लिखवँ. परिषद् के गठन होय ले खूब आंचलिक कवि सम्मेलन घलो होइस.  हमर जिला के जउन कवि मन  ह मंचीय कवि के रुप मा अपन छाप छोड़िस वोमा मोरो गिनती होय लगिस. 
 2008 मा मोला तत्कालीन मुख्य मंत्री डॉ. रमन सिंह जी ले मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान मद ले छत्तीसगढ़ी कविता संग्रह "जिनगी ल सँवार 'प्रकाशित करे बर दस हजार रुपये के अनुदान मिलिस. अउ डॉ. रमन जी के ही हाथ ले 31 मार्च 2008 मा भर्रेगॉव पुल के लोकार्पण समारोह मा विमोचन करायेंव. ये किताब मा मोर मात्र 24  कविता हे. येहा मोर आज तक के प्रकाशित एक मात्र किताब हे. 
साकेत साहित्य परिषद् सुरगी दुवारा प्रकाशित साकेत स्मारिका के सँगे सँग  सबेरा संकेत, दैनिक दावा, लोकाक्षर, मेघ ज्योति, कृषक युग, नांदगांव टाइम्स, नाम देव टाइम्स, कड़वा घूंट मा छत्तीसगढ़ी अउ हिन्दी कविता के छपे के दौर जारी रिहिस हे. 

 28 फरवरी 2016 मा पुरवाही साहित्य समिति पाटेकोहरा विकासखंड छुरिया जिला राजनांदगांव के गठन करेन. 

मेहा मई 2020 मा "छंद के छ " के संस्थापक आदरणीय गुरुदेव अरुण कुमार निगम जी दुवारा संचालित "छंद के छ -
सत्र -12" मा छंद साधक के रुप मा शामिल होय हवँ. येमा मोर गुरु 
हमर राजनांदगांव जिला के आदरणीय राम कुमार चन्द्रवंशी जी अउ आदरणीय महेन्द्र कुमार बघेल मधु जी हे. छंद के छ ह एक सुग्घर उदिम हरे. आदरणीय गुरुदेव अरुण कुमार निगम जी के प्रसास के जतके प्रशंसा करे जाय वोहा कम होही. आप मन के मार्गदर्शन मा अब तक 150 से उपर रचनाकार मन हा 50 प्रकार के छंद सीख के लगातार छंद विधा ला पोठ करत हे. 
जहां तक मोर बात हे मेहा छंद के छ परिवार मा अभी प्राथमिक शाला के लइका हरवँ. सीखे के कोशिश करत हवँ. 

  अब बात करत हवँ गद्य विधा के.  पहिली मेहा गद्य मा जन कवि श्रद्धेय स्व. विश्वंभर यादव जी मरहा ,लोक संगीत सम्राट श्रद्धेय स्व. खुमान साव जी, मानस मर्मज्ञ श्रद्धेय बोधन दास साहू जी के सँगे सँग राजनांदगांव जिला के चार स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उपर हिन्दी मा लेख लिखे हवँ. कॉलेज जीवन के साहसिक अभियान के संस्मरण लिखे हवँ .

पर मेहा जब आदरणीय सुधीर शर्मा जी अउ आदरणीय गुरुदेव अरुण कुमार निगम जी द्वारा संचालित व्हाट्सएप ग्रुप "छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर " मा जुड़ेव त छत्तीसगढ़ी म गद्य लिखे के कोशिश करेंव. ये ग्रुप मा मोर द्वारा लिखित लेख ला ग्रुप मा जुड़े विद्वान साहित्यकार मन ह  पढ़ के प्रोत्साहन दिस येहा मोर सौभाग्य हे. येखर ले मोला अउ लिखे के प्रेरणा मिलथे. दूसर विद्वान साहित्यकार मन के रचना ल पढ़ के हमर मन मा जोश आथे. 
ये प्रकार ले छत्तीसगढ़ी मा मेहा गद्य लेखन के शुरुआत के श्रेय छत्तीसगढ़ी लोकाक्षप ग्रुप ल देना चाहत हवँ. येखर माध्यम ले हमर छत्तीसगढ़ी गद्य ह पोठ होवत हे. नवा कलमकार मन हा ये पटल के माध्यम ले अपन पहचान बनावत हे. वरिष्ठ साहित्यकार मन के सुग्घर मार्गदर्शन मिलत हे. 
 इही बिचार के साथ मेहा ये विषय मा अपन लेखनी ल विराम देवत हवँ. 
   आप जम्मो झन ल सादर प्रणाम...  जय जोहार... 
जय छत्तीसगढ़... जय छत्तीसगढ़ी... 
               
 ओमप्रकाश साहू" अंकुर "
सुरगी, राजनांदगांव (छत्तीसगढ़) 

मो.  7974666840

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