छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 90 किमी की दूरी पर धमतरी जिले के ग्राम चंवर में अंगारमोती माँ का मंदिर स्थापित है।
बताया जाता है कि अंगार मोती का यह मंदिर 600 वर्ष पुराना है, जो गंगरेल बाँध बनने के बाद डूब गया था। लोगों के अनुसार चंवर गांव के बीहड़ जंगल में माँ स्वयं प्रगट हुईं और अपने तेज के प्रभाव से पूरे क्षेत्र को आलोकित कर दिया, जिससेे प्रभावित होकर लोगों ने सन् 1972 में गंगरेल बाँध के पास ही माँ अंगारमोती का मंदिर पुनः स्थापित किया।इनके पास ही शीतला माता, माँ दन्तेशवरी और भैरव बाबा भी स्थापित है। इनके दर्शन के लिए लोग देश - विदेश से आते हैं।
मान्यता है कि श्रद्धा के साथ जो भी भक्त नारियल बाँधता है, माँ उसकी मुराद जरुर पूरा करती है। यहाँ नवरात्र में भक्त मनोकामना ज्योति भी जलाते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि अंगार मोती अगारा ऋषि की पुत्री है, ये सभी वन देवियों की बहन मानी जाती हैं। इन्हें प्रकृति और हरी भरी वादियों से विशेष लगाव है, शायद इसीलिए इन्हें वनदेवी कहा जाता है.
बताया जाता है कि माता बहुत चमत्कारी हैं, इनके आशीर्वाद से नि:संतान महिलाओं की सूनी गोद भी हरी-भरी हो जाती है ।
माँ विंध्यवासिनी की बहन मानी जाने वाली अंगारमोती
माँ की कृपा सदियों से भक्तों पर बरसती आ रही है. श्रध्दालु भी पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ माता की आराधना करते हैं ।।


लोक कला दर्पण
सांस्कृतिक विरासत का संवाहक
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