चिड़ियों की चहचाहट से दिन की शुरुआत
मेरी छत में चिड़िया रानी आती है,
दाना चुगती है, पानी पी कर उड़ जाती है
मेरे घर में हर साल घोंसला बनाती है,
मैंने भी उसके हिस्से का घर छोड़ दिया है।
कभी जाम के पेड़ में चढ़ती है
कभी तार में झूला झूलती है ,
अपने घोंसले बनाने के लिए, रात-दिन मेहनत करती है ।
चिड़िया रानी ने तीन चूजों को जन्म दिया है,
एक बेटा और दो बेटी को
तीनों बच्चों को लेकर छत में आती है, अपने साथियों के साथ,
पूरे चिड़ियों का समाज चहकता है ।
मेरे बगीचे में, मैं रोज देखती हूँ इन्हें निहारती हूँ दूर से
तीनों बच्चों को लेकर आती है गौरैया
उनमें एक बेटा है, दो बेटियाँ
सपरिवार दाना चुगते हैं, लेकिन मैं देखती हूँ,
चिड़िया रानी का बेटा
बहुत आलसी है,
चिड़िया की दो बेटी बहुत चंचल
वे दोनों बहनें चावल चोंच से खाती है
फुर्र से उड़ती है
कभी गमला के नीचे छाँव में
कभी जाम के पेड़ में, कभी लटकते हुए तार में झूला झूलती है ,
कभी पड़ोसी के मीठा नीम के पेड़ में फल का रस पीती है ।
लेकिन बेटा चूजा दिनभर माँ के पास रहता है,माँ दाना खिलाती है ।
खाता है, पानी पीता है, गमले के पास रहता है,
दोनों बहनें घूम के आ जाती है
चूजा बहनों के साथ खेलने की कोशिश करता है,
बहनें चोंच से मारकर भगाती है ।
चूजा चिड़िया पुनः माँ के पास आता है, इस बार वह अपने चोंच से दाना चुगता है,
फिर से अपने दोनों बहन के पास जाता है
दोनों बहनें ख़ुशी से चहकती है, और आसमान की ओर देखती है और चहक उठता है उनका परिवार ।
चिंव चिंव करते उड़ते आसमां की ओर
स्वतंत्र रूप से न कोई शोर
आज बहुत खुश है चिड़िया उड़ान भरने के लिए ।
*सीमा साहू*
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