सुप्रसिद्ध लोकगायिका श्रीमती कविता वासनिक द्वारा स्व.खुमान साव की पुण्यतिथि के अवसर पर श्रद्धांजलि
छतीसगढी लोककला के क्षेत्र में नाचा के माध्यम से अंचल के लोग सदियों से मनोरंजन करते रहे है।कई दशकों तक खडे साज व नाचा का चलन अंचल में रहा।मनोरंजन के आधार सीमा का इजाफा करते हुए स्वनामधन्य लोकगीतों के अग्रदूत तथा पृथक छतीसगढी निर्माण की सांस्कृतिक क्रांति को नई दिशा प्रदान करने वाले स्व.खुमान साव ने अपनी संस्था चंदैनी गोदा व आकाशवाणी के माध्यम पहूंचाया और एक स्वस्थ्य मंनोरंजन का शंखनाद किया।खुमान साव जी ने सभी रचनाओं मे सुमधुर संगीत का शहद डाला।स्व.खुमान साव जी के व्यक्तितत्व मे अनुशासन, समर्पण, त्याग, धैर्य, कर्त्तव्यनिष्ठा, आत्मविश्वास, व संगीत के प्रति ईमानदारी कुट कुट के भरी थी।फूहड़ता, अश्लीलता से कोसो दुर खुमान साव जी निरंतर छतीसगढी गीतों को अपनी सेवाएं प्रदान करते रहे।आपकी अनुशासित टीमों में भैय्या लाल हेडाऊ,लक्ष्मण मस्तुरिया, जयंती यादव,केदार यादव, कविता वासनिक बासंती देवार,मुकंद कौशल,रामेश्वर वैष्णव, मदन शर्मा, महेश ठाकुर, पंचराम देवदास, कृष्ण कुमार चौबे इत्यादि शामिल थे। आज लोक संगीत के भीष्म पितामह हमारे बीच नहीं है लेकिन संगीत के प्रति उनकी ललक ने छतीसगढियाँ के मन -जन मे अपना अविस्मरणीय स्थान बरकरार रखा है।9जून को उनकी प्रथम पुण्यतिथि पर सादर नमन करते हुए अंचल के सभी कलाकार भावाँजली स्वरूप अपने उदगार समर्पित कर रहे है (सुरता ) महतारी के लाल सभी एपिसोड मे जो स्व.खुमान साव जी को नमनवत श्रद्धाजंली हैं। लोक कला दर्पण ........ संपादक - गोविन्द साहू
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