*वो घर सदा ज्यातिर्मय रखना*
त्याग-बलिदान हो, के दान-अवदान हो
करना दीपदान हो, के दान निज प्राण हो
जब करता हो कोई, मातृभूमि को अर्पण
तो कहना जरूर इतना, वंदे वंदेमातरम् !
ये शस्य श्यामला माटी, भारती वसुंधरा
वीर-वीरांगना धर, धन-धान्य से भरा
ये रत्नगर्भा रश्मि, सोने की थी चिडिया
गाँव-गाँव गोकुल था, दूध-दही नदिया
राम वन माटी धरे, कृष्ण पाँच गाँव जपे
शास्त्री की आन माटी, पटेल अरमान माटी
जब करता हो कोई, मातृ माटी का चंदन
तो कहना जरूर इतना, वंदे वंदेमातरम् !
यहाँ बेटियाँ श्रृंगार करतीं रक्त वीरांगना
झाँसी जो मर्दानी हुई, शत्रु पडा काँपना
चित्तौड़ दीपदान किया, माँ पन्नाधाय थी
महारानी पद्मिनी से, मौत भी थर्राई थी
भीष्म दिए माटी प्राण, भामाशा किए दान
सुभाष मिटे माटी को, भगत चूमे फाँसी को
जब करता हो कोई, बलिदानों का आचमन
तो कहना जरूर इतना, वंदे वंदेमातरम् !
रक्त के सैलाब में, शत्रु गिरे खण्ड-खण्ड
मौर्य-मराठे तलवार, भारत लिखे अखण्ड
कुंभलगढ़ स्वाभिमानी, महाराणा प्रताप
चमकौर लाख शत्रु, बयालीस सिंघ बाज
हिन्द सेना शूर-वीर, शत्रुओं को देते चीर
एक-एक सवा शेर, मरदूदों को करते ढेर
जिस घर बुझा च़राग, बचाने हमारे जीवन
वो घर सदा ज्यातिर्मय रखना, है वंदेमातरम् !
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लोकनाथ साहू ललकार
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
9981442332
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