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वक्त का तकाजा

 

जिंदगी की तमन्ना,

यूं ही टूटते जाती है।

आस लिए मन की,

तन्हाइयों में।

अपने को

अकेले न समझ।

तलाशिए सदा,

मन को ऊंचाइयों में।

अपने ऊपर,

जो कुछ गुजरता है।

वह वक्त का,

तकाजा है।

लगे रहिए हरदम,

मर्जी उस कुदरत की।

जिसने तुम्हें संघर्षो ,

के लिए नवाजा है।

 

 

डा. दीनदयाल साहू


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