*आगे हरियर हरेली*
आ गे हरियर हरेली तिहार, घर-घर आँगन में
बरसे मयारू मया के फुहार, मन के सावन ले
ओहो-तोतो बांवत अंतरगे आज
मेड़-मूही-पार घलो बंधागे काज
हरियर देख पखेरू खार खेलथे
पिरोहिल संग नांग खेलथे गाज
नांगर-कुदारी ल हूम-चीला चढावन हे
गली-गली गेंडी रेंचे रुच-रुचरू
नरियर फेंक फेंके, फेंकू-फिरतू
कहूँ खेले खोखो कहूँ कुस्ती-कबड्डी
कहूँ माते हाबे जबर फुगडी के फू
मोटियारीमन ददरिया झूल-झूल गावन हे
छत्तीसगढ़ ल बाँधे हरेली गंगा
सवनाही बँधागे लीम डारा संगा
तुलसीदल-गंगाबारू मया बाँधे
मीत-मितानी मया महरे मोंगरा
भारत ल बांधे जईसे तिरंगा पावन हे
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लोकनाथ साहू ललकार
दुर्ग-छत्तीसगढ़
मोबाइल - 9981442332
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