● आबे बिहनिया खवाहूँ बासी मोर मन के मँजूर तँय बारामासी ● ए फूलबासन जोहार ले ले पिरीत दे दे अपन अउ पियार ले ले ● नाचत रइथे आँखी के पुतरी बाँध लेही मुहचारी मया के सुँतरी ● रहि रहि मोला आवत ह…
रिलो..रिलो..रिलो..साँय रिलो रे... मोर सुरडोंगर गाँव के सुघर डोंगरी। बालोद जिला डौण्डी ब्लाक आदिवासी गाँव इस्कूल मेर हनुमान मंदिर हवय पीपर छाँव गाँव के निंगती हवय माता सीतला के पाँव भेंट पलयगी अउ मया-…
सावन के बदरा झुमके लाए बहार आग हे संगवारी हरेली तिहार।। सावन के माह भोले के तिहार बेल पाती और धतूरा के सिंगार हरीयर लुगरा पहन की धरती करे श्रृंगार।। बादर हा टूट के, धरा ला देथे पानी …
माटी के दाई बर हरियर लुगरा अऊ। डारा पाना हरियर होवय तन झन उघरा। सोनहा धाने के बाली गहना झन होवय खाली। देख मोर छत्तीसगढ़ सब करय दिन रात चारी। कांदी कचरा लुके गरवा ल खवाबो। गोबर लेवईय…
========= आगे हे सावन लागय मन भावन। लेवत हे लहरा मया पीरा के ।। चले आबे --चले आबे -चले आबे। रहि रहि के तड़कय तड़ातड़ बिजुरी …
*आगे हरियर हरेली* आ गे हरियर हरेली तिहार, घर-घर आँगन में बरसे मयारू मया के फुहार, मन के सावन ले ओहो-तोतो बांवत अंतरगे आज मेड़-मूही-पार घलो बंधागे काज हरियर देख पखेरू खार खेलथे प…
दिवाना बना डारे रे मीठ मीठ भाखा ल बोल के रखे हौं तोला मोर मन के मंदिर मा हिरदे मा बने चिपोट के दुरिहा ले देखेंव म़ोर झुलनी बही झुलतरी हो तोर काया माया ह झलकथे रानी सोन सही हो …
सजना मोर जइसे पवन चले, हितवा मोर जइसे नदिया बहे, तइसे तोर मोर संग, रंगे मया के रंग, चलही, दुनिया चले न चले। बादर के संग संग चमके बिजुरिया, संग संग खेले जइसे संगी जहुरिया, हो जइस…
जिवलेवा घाम जरय जेठ बइसाख के। बटोहिया रे अगौर लेते ना। मन के मिलौना छोड़े जिनगी अधूरा होगें। काँच सही दरके सुपना छिन मा चूरा होगें कोनो नइ अधारा अब थके साँस के।। बटोहिया…
आगे असाढ़ गिरत हे पानी चूहत हे घर के छानही कबरा कुसुवा बइला धरके करबो खेती किसानी अरत तता नांगर फान्दे जाबो धरके रांपा झंऊहा अऊ कुदारी ईही हमर रमायेन अऊ गीता ईही गंगा कांशी हमर महता…
डॉ.पीसी लाल यादव मैं माटी महतारी अंव जतन करव धरती के संगी, जतन करव रे | जतन करव धरती के संगी, जतन करव रे || मोर जतन करव रे, मैं माटी महतारी अंव सुख-दुःख के संग देवइया, संग…
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