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आगे हे सावन
लागय मन भावन।
लेवत हे लहरा
मया पीरा के ।।
चले आबे --चले आबे -चले आबे।
रहि रहि के तड़कय
तड़ातड़ बिजुरी
बिरही अलापय
ओरिया के झिंगुरी
नाचय अँजोरी
फाँफा कीरा के।
चले आबे --चले आबे -चले आबे।
आमा के डारी
झूलना बँधाये
तोर संग झूले के
साध लमाये
रधिया गावत हे
भजन मीरा के।
चले आबे- -चले आबे--चले आबे।
नंदिया उफनगे हे
बादर हाँसय
भउजी मिरिग नैनी
दिरखा ले झाँकय
जादू चलय ना
बाना बिंदरा के।।
चले आबे --चले आबे --चले आबे
=======केदार दुबे
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