भाई बहिनी के मया अगम हे,
जेकर नइ हे कोनो ओर छोर।
राखी के एक ताग सुंत लागय,
जइसे भाई बहिनी के मया डोर।।
अपन मुंहूँ के कंउरा ल बंचाके,
छोटे भाई बहिनी के मुंहूँ म डारे।
महतारी असन हियाव करइया,
कनिहा म पा के गली किंदारे।।
बहिनी के लाज मान रखइया,
रखवार तिंही डेहरी के भइया।
बल बंधाथे तोर बल देख के,
बाप जइसन बर कस छँइया।।
एक ठन डोरी गुलाल के टीका,
बाँधथे मया म भाई बहिनी ला।
बिपत्ति म दुनो के दुलार निका,
समोखव हाँस के भाई बहिनी ला।।
अमर अजर नता भाई बहिनी के,
दूसरों बर घलो राखी भेजावय।
सुवारथ के कचरा घुरूवा डारव,
लहू के जम्मों नता गोता हियावय।।
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द्रोपती साहू "सरसिज"महासमुन्द, छत्तीसगढ़
मों.+वाट्सएप नं.9179134271
पिन-493445
Email: dropdisahu75@gmail.com
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