जन-जन तोरे... जस ला गावैं...
अवो... कौसल्या महतारी...।
त्रेता युग के... कोसल राज मा...
लिए... तैंहा... अवतारी...।
रघुवंशीय... कुल कन्या...
भानुमंत के... भानुमति कहाए...।
महाप्रतापी अयोध्या के
राजा... दशरथ... संग मा बिहाए...।
जम मा... अमिट... इतिहास रचईस...
भानुमति के पिटारा...।
ममा भाचा के... अमर प्रेम ले...
बगरिस मया दुलारा...।
तीजा पोरा मा...
बहिनी मन के मान बढ़ईस...
एक लोटा पानी हा...।
छत्तीसगढ़ के बेटी... तोर रद्दा ले बगरिस...
मीठ बोली बानी हा...।
सरग लोक ले... देवता मन के...
घंटा धुनी हा बाजिस...।
गूंज उठिस जब... कोसल्या... नंदन...
के किलकारी...। जन...
कण कण में... इहां राम हे...।
शिवरीनारायण, आरंग, राजिम अस...
पग पग मा पावन धाम हे...।
आनंद सुख-धाम, राशि के...
रद्दा ला... बताइस जी... बलिहारी...। जन...
रामधुनी, रामलीला, राम रमैहा...
भक्तन मन हा गावंय...।
पाप पुन के लेखा जोखा ले...
मुक्ति पावंय जी दुराचारी...। जन...
तोरे परताप ले माता...
छत्तीसगढ़ हा...सिधवा राज कहाए...।
तेकरे सेती... आने... इहां... इहीं के हो जाए...।
माथ मनावत ये भुइंया मा...
समझन... काहे हमर लाचारी...। जन...
डॉ.दीनदयाल साहू
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