कौशिल्या के ये भुइयां म जनम पाके तय बड़का पायेस आसन।
गरीबी के भोम्भरा ननपन म जरेस जब खाय बर नई रहय घर म राशन।।
गरीबी ले लड़ेस अउ महिला मन बर काम करेस तेखर पाछु दिस तोला पद्मश्री शासन।
केबीसी म जाके छत्तीसगढ़ के मान बढायेस तोर नाम अमर रहे फुलबासन।।
पढ़ई भले कम करे रेहेस फेर ससराल म जाके महिला मन बर नवा रद्दा गढ़हेस।
घर दुवारी अंगना ले निकल के दिल्ली तक अपन आत्मविश्वास ले आघू बढ़हेस।।
छेरी बकरी चरायेस, टर्की पालन करेस अउ का-का बुता नई करेस।
तय तो समाज के वो नारी अस जेन महिला के भाव पढ़ेस अउ दुख ल हरेस।।
छुरिया के बेटी सुकुलदैहान म ससराल जाके, जिनगी जिये बर बड़का बुता करेस।
छेरी बकरी चरावत, "सीता" बरोबर कांटा-खूंटी के रद्दा धरेस।
कतको सरग बरोबर मान पायेस फेर अपन गोसईया ल पराया नई करेस।।
हर संकट हर बिपदा ले महिला समुह संग मिल के लड़ेस, सम्मान ले जिये बर नवा परिभाषा गढ़ेस।।
पुरुस परधान समाज म माईलोगन ल आघु करे के बुता करेस।
घर के इज्जत ल घर म रखे बर सउचालय के धियान धरेस।।
स्त्री शक्ति,कर्म वीर,पद्मश्री अउ का नाम धरन, "दुलरवा" के कलम ले तोर चरन के पांव परन।
कतको गरीबी झपवाय फेर तोरे सही हम काम करन, इही माटी बर जियन अउ इही माटी बर मरन।।
दुर्गेश सिन्हा "दुलरवा"
दुर्रे बंजारी (छुरिया)
संस्कारधानी
0 टिप्पणियाँ
please do not enter any spam link in the comment box.