*पिंवरी पहिर सरसों झूमे*
पिंवरी पहिर सरसों झूमे।
तितली भौंरा मया म चूमे।।
अरसी ह बांधे अईंठी मुरेरी पागा।
बटरा तिंवरा ढिले, पिरीत के तागा।।
पुरवइहा बइहा बन घूमे ।
पिंवरी पहिर सरसों झूमे।।
ढोलक बजावत हे, ठेमना चना ह।
राहेर हलावत हे,धरे घुनघुना ल।।
गहूँ घलो हरमुनिया धुँके।
पिंवरी पहिर सरसों झूमे।।
धरसा के परसा, सुलगावत आगी।
लाली सेम्हरा ल फभे, हरियर पागी।।
कोइली ह बाँसुरिया फूँके।
पिंवरी पहिर सरसों झूमे।।
जंगल -पहार माते,माते हे मउहा।
नरवा तीर नसा म ,झुमरत कउहा।।
मऊरे आमा देवय हूमे।
पिंवरी पहिर सरसों झूमे।।
- डॉ.पीसी लाल यादव
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