तोर जर खाने तेन नोहे , संगी - मितवा रे। घर - कुरिया लेसे तेन नोहे तोर हितवा रे।। तोरेच ल खा के तोरे ओ…
*आगे सावन महीना* झिमिर- झिमिर पानी गिरे, ओरवाती ले मोती झिरे। आगे सावन महीना...आगे सावन महीना। मांदर बरोबर बादर गरजे, …
गोबर खाद से अन्न उपजे आऊ गोबर उपल से बनत हे खाना । चल ग भैया झनुंहा धर अब गोबर बिन ल हे जाना ।। पूजा म गौरी बनथे आऊ खूब उपजते धान । गोबर अब गोबर नई रहिगे बढ़गे ओकर "मान" ।। दारू घलो बनही ओ…
साफ सफाई राखव रे भाई। येमा सबके हे गजब भलाई।। साफ रखव पीये के पानी। बच जाही जम्मों जिनगानी।। साफ सफाई सत सुखदानी। झन करहू गा आनाकानी।। जिनगी खा…
पिरीत के पानी म मया के रंग घोरे, आगे पहुना बसंत देख तो रे । मया-पिरीत म जग- जिनगी…
*पिंवरी पहिर सरसों झूमे* पिंवरी पहिर सरसों झूमे। तितली भौंरा मया म चूमे।। अरसी ह बांधे अईंठी मुरेरी पागा। बटरा तिंवरा ढिले, पिरीत के तागा।। पुरवइहा बइहा बन घूमे । पिंवरी पहिर सरसों झूमे।। ढोलक बजावत …
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