वर दे माँ शारदे (सरसी छन्द)
दे अइसन वरदान शारदा, दे अइसन वरदान।
गुण गियान यश जश बढ़ जावय,बाढ़ै झन अभिमान।
तोर कृपा नित होवत राहय, होय कलम अउ धार।
बने बात ला पढ़ लिख के मैं, बढ़ा सकौं संस्कार।
मरहम बने कलम हा मोरे, बने कभू झन बान।
दे अइसन वरदान शारदा, दे अइसन वरदान।।।
जेन बुराई ला लिख देवँव, ते हो जावय दूर।
नाम निशान रहे झन दुख के, सुख छाये भरपूर।
आशा अउ विस्वास जगावँव, छेड़ँव गुरतुर तान।
दे अइसन वरदान शारदा, दे अइसन वरदान।।।
मोर लेखनी मया बढ़ावै, पीरा के गल रेत।
झगड़ा झंझट अधम करइया, पढ़के होय सचेत।
कलम चले निर्माण करे बर, लाये नवा बिहान।
दे अइसन वरदान शारदा, दे अइसन वरदान।।।
अपन लेखनी के दम मा मैं, जोड़ सकौं संसार।
इरखा द्वेष दरद दुरिहाके, टार सकौं अँधियार।
जिया लमाके पढ़ै सबो झन, सुनै लगाके कान।
दे अइसन वरदान शारदा, दे अइसन वरदान।।।
जीतेंन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
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