वर दे माँ शारदे (सरसी छन्द) दे अइसन वरदान शारदा, दे अइसन वरदान। गुण गियान यश जश बढ़ जावय,बाढ़ै झन अभिमान। तोर कृपा नित होवत राहय, होय कलम अउ धार। बने बात ला पढ़ लिख के मैं, बढ़ा सकौं संस्कार। मरहम बने कल…
कॉपीराइट © 2020 लोक कला दर्पण सर्वाधिकार सुरक्षित.
हमसे जुड़े और फॉलो करें