साफ सफाई राखव रे भाई। येमा सबके हे गजब भलाई।। साफ रखव पीये के पानी। बच जाही जम्मों जिनगानी।। साफ सफाई सत सुखदानी। झन करहू गा आनाकानी।। जिनगी खा…
दुसरईया पुण्यतिथि म दुलरवा के शब्द ले हे अर्पण। राज के संगीत बर खुमान साव हवय बड़का दर्पण। जेन मरते दम तक कर दिस…
ऊपर से कठोर और अंदर से नम्र स्वभाव के थे खुमान साव जी जनता के प्रेम को ही सबसे बड़ा पुरस्कार मानते थे कोई भी क्षेत्र विशेष की संस्कृति उस क्षेत्र (अंचल) के लोगों की पहचान होती है. उसी में उसकी आत्म…
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