हिंदी के हिस्से की लड़ाई - शशि मोहन सिंह(आई.पी.एस.)

 

 
*हिंदी के हिस्से की लड़ाई* 
-----------
हिंदी !
अब तुमको भी 
लड़नी होगी 
अपने हिस्से की लड़ाई स्वयं 
इस बाज़ारवादी व्यवस्था में 
जैसे लड़ता है हर कोई 
अपने-अपने हिस्से की लड़ाई 
टकराना होंगा तुमको 
भाषायी साम्राज्यवाद के 
नुकीले प्रस्तरों से 
तोड़ना होंगा
अवरोधों की ऊँची दीवार को
जो खड़ी की गई है 
तुम्हारी राहों में 
उखाड़ने होंगे 
वो तमाम खूँटे 
जिसमें षड़यंत्रों के 
खूँखार श्वान 
बाँधे गए हैं 
जो भोंकते रहते हैं 
लगातार 
तुम्हारी उपस्थिति के बरक्स 
मैं तुम्हारी दुर्दशा पर 
न आँसू बहाऊँगा 
न लिखूँगा कोई शोक गीत 
तुम्हारी दशा पर 
बस इतना ही कहूँगा कि 
तुम इन उफ़नती लहरों में 
अपनी नाव को खेते रहना
आत्मविश्वास के पतवार से 
परिस्थितियों के घातक प्रहार 
पैदा कर देगा 
तुम्हारे भीतर ही 
एक प्रतिरोधक क्षमता 
तुम्हारे निखरते रूप 
और बिखरती कांति से 
झिलमिलाता 
बाज़ार का विज्ञापन 
तुम्हारी अपनी 
बुलंदियों के गीत 
तुम्हारे शब्दों के जादू में 
समाहित होंगे 
तुम्हारी कहानियों में 
एक कहानी होगी 
स्वयं तुम्हारी सफलता की 
तुम्हारे छंदों, अलंकारों से 
अलंकृत होगा 
वही बाज़ार 
जो कल तक करता रहा 
तिरस्कृत तुमको 
बस अपने पंखों को 
धार देते रहना 
और उड़ते रहना 
अपने हिस्से की उड़ान 
कल आसमान 
तुम्हारा होगा 
प्रतिष्ठित होगी 
प्रतिष्ठा शिखर पर
शीर्ष सम्मान तुम्हारा होगा ।

*शशि मोहन सिंह*
*(आई.पी.एस.)*
*जगदलपुर छत्तीसगढ़*

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ