मुंहू कान ला धो ले संगी, एक्के दवई उंघासी के | बिहना ले संझा तक मिहनत, ये परताप हे बासी के | उमर पहागे दंउड़त - भागत, आंटत जिनगी के ढेरा , तबले नइये कुछु आसरा, कारन इही उदासी के | म…
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