सुरता ममा गाँव के लोक जीवन मं ये मान्यता हवय कि "लइका ल बिगाड़ना हे त ममा अउ सुधारना हे त कका बबा कना भेजव ।" येहर कतेक सच आय या काकरो अनुभो ये, येला तो भंजाय ल परही ! फेर मंय तो बड़ भाग …
छत्तीसगढ़ी साहित्य मा चउमास के गजब वरनन मिलथे। आषाढ़ , सावन , भा दो , कुवाँर ये चार महीना चउमासा कहाथे। छत्तीसगढ़ के धरती आदिकाल ले साहित्य मा अगुवा रहे हे फेर मौन साधक प्रकृति के सेती इहां के आ भा मंड…
साहित्यिकी तिवारी जी के साहित्य हमला रद्दा देखात हे आज तो छत्तीसगढ़ी हर राजभाषा बनके कतको ग्यानी -गुनी मन के गला के मुक्ताहार बन के शोभा पावत हे। फेर तईहा काल म एक समय अइसन रहिस जेमे छत्तीसगढ़ी ल निच…
हमर साहित्य अइसे तो हर भाखा के अपन साहित होथे। जउन म वो भाखा के बोलइया मनखे के दुख-पीरा,हाँसी-ठिठोली, सँग जिनगी जिएँ सबो चलन के दरसन करे जा सकत हे। अइसे भी कहे जाथे, कहूँ कोनो सँस्कृति अउ सऽयता के ना…
मया, दया अउ दुलार के चिन्हार राखी तिहार। राखी तिहार ला रक्छा बंधन के नाँव ले हमर देश भर मा सावन पुन्नी के दिन मनाय जाथे। राखी तिहार हा भाई-बहिनी के तिहार माने जाथे। ए दिन हर बहिनी मन हा अपन भा…
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