हमर साहित्य अइसे तो हर भाखा के अपन साहित होथे। जउन म वो भाखा के बोलइया मनखे के दुख-पीरा,हाँसी-ठिठोली, सँग जिनगी जिएँ सबो चलन के दरसन करे जा सकत हे। अइसे भी कहे जाथे, कहूँ कोनो सँस्कृति अउ सऽयता के ना…
भगवान राम ने अपने वनवास काल के दौरान छत्तीसगढ़ में बिताए हैं। उस काल में छत्तीसगढ़ को दंडकारण्य के नाम से जाना जाता था। हमारे धार्मिक ग्रंथ रामायण में भी दंडकारण्य का उल्लेख मिलता है। यहां हम इसी दौरान…
अत्याचार करइया मन ला खूब ललकारय दलित जी हा जब हमर देश हा अंग्रेज मन के गुलाम रिहिस ।वो समय हमर साहित्यकार मन हा लोगन मन मा जन जागृति फैलाय के गजब उदिम करय । हमर छत्तीसगढ़ मा हिन्दी साहित्यकार के सं…
2 8 सितम्बर पुण्यतिथि पर विशेष छत्तीसगढ़ के गिरधर कविराय के नाम से मशहूर जनकवि कोदूराम "दलित" जी का जन्म 5 मार्च 1910 को ग्राम-टिकरी (अर्जुन्दा) जिला दुर्ग के साधारण किसान परिवार में हुआ थ…
आरू साहू आरू साहू ने दी है स्वर छत्तीसगढ़ अंचल का नाम रोशन करने वाले भा रत की संस्था- नाचा , अमेरिका में अपना परचन लहरा रहा है। छत्तीसगढ़ …
नाचा के समर्पित कलाकार जेकर आज 36 वीं पुण्यतिथि हे धान के कटोरा छत्तीसगढ़ के लोक कला अउ संस्कृति के अलग पहचान हवय । हमर प्रदेश के लोकनाट्य नाचा, पंथी नृत्य, पण्डवानी, भरथरी, चन्देनी के संगे संग आदिव…
24 सितम्बर पूण्यतिथि पर विशेष ० राजा के दरबार में सजती थी संगीत की महफिले ० राग-रागनियों की उड़ती थी फुहारे राजनांदगांव। संस्कारधानी के नाम से सुप्रसिद्ध नांदगांव नगरी कला-साहित्य खेल के साथ-साथ वि…
बरदी , बरदिहा अउ बरवही हमर सम्पूर्न भारतीय लोकसंस्कृति मं गोपालन अउ गोधन के बड़ा महत्व हे। बेद , पुरान जइसे अउ कतको धारमिक ग्रंथ मं गउसेवा अउ वोखर परिनाम क…
छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक इतिहास मे लोककथा,लोकनृत्य, लोक संस्कृति का महत्वपूर्ण भूमिका है तो वही लोककला में हास्य रूपी पात्र का होना अति आवश्यक है।और यदि यह माना जाए तो इस पात्र के बिना कोई भी प्रस्तुति…
स्वतंत्र भारत की स्वंत्रत सांस हम संस्कारधानी में ले रहे है उसके स्तंभकार यदि नरसिंगदास चितलाँग्या जी को माना जाएं तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं है।सन् 1930 को संस्कारधानी कि पावन भूमि पर कालूराम गणे…
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