आँसो जाड़ अबड़ दवें लगिस।जाड़ के मारे हाथ-पाँव किन-किनाय,पानी करा कस चट ले जनाय ,दिन भर सुर्रा चलय त जुड़ के मारे नाक ह सुरुक -सुरुक बोहाय।सँझा- बिहनिया सब ल भुर्रीच ह सुहाय।तभो ले किन-किनात जाड़ म बबा ह …
संगी हो बीते बछर के अनुभव काकरो बर बने नी होइस। सबे मनखे बीते बछर ल कोसत हवय। हमु मन कोसत हन। अइसन दिन हमन ल कभु देखे बर झन मिलय अइसे भगवान ले विनती करत हन। कोनो मनखे अउ कोनो सियान मन ह आज तक कभु नी …
विलुप्त होने के कगार पर है मिल रहा है बढ़ावा राज्य सरकार छत्तीसगढ़ी संस्कृति के अनुरूप पौनी.पसारी जैसे पारंपरिक व्यवसाय से प्रदेश के स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करा रही हैं। इसके लिए …
● आबे बिहनिया खवाहूँ बासी मोर मन के मँजूर तँय बारामासी ● ए फूलबासन जोहार ले ले पिरीत दे दे अपन अउ पियार ले ले ● नाचत रइथे आँखी के पुतरी बाँध लेही मुहचारी मया के सुँतरी ● रहि रहि मोला आवत ह…
अंचल के विशेष स्थान पर हैं रामनामी संप्रदाय छत्तीसगढ़ में एक रामनामी पंथ है जो एक विशेष इलाके में निवास करते हैं। यहां बच्चे से लेकर रामनाम का गोदना पूरे शरीर में अंकित कराते हैं। वर्तमान में नई पीढ़…
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