छत्तीसगढ़ के मान महिमा जगाय के, नवा सम्मे म हमन छत्तीसगढ़ महतारी के वन्दना गीत ला सुन के मन भरहा सुख पावत हन- अरपा पैरी के धार, महानदी हे अपार, इन्द्रावती ह पखारे तोर पईयाँ, महूँ पांवे परंव तोर भुइयाँ,…
असीमित सं भा वनाओं के द्वार खोलता राम वनगमन परिपथ आलेख छत्तीसगढ़ प्रदेश सरकार द्वारा घोषित राम वनगमन परिपथ नि:संदेह पर्यटन और पर्यावरण की दृष्टि से बेहद सं भा वनाओं वाला साबित होगा। "सिया राम म…
देखे जावत हे कि आजकाल के बेरा म लोगन कहिथे कुछु अउ करथें कुछु। कथनी अउ करनी म सोझे फरक देखे बर मिलत हे। येकर ले मनखे मन के मनखे मन ले विसवास उठत जावत हे। कोनो ह कोनो ल समझे बर तियाय नी होवत हे। हमन ह…
छत्तीसगढ़ हर अति प्राचीन काल से अलग-अलग जति, धर्म अउ संस्कृति के समन्वय भूमि बने हवय। प्रागैतिहासिक काल से, जब मानव सभ्यता के विकास नइ होए रहिस, इहांॅ मनखे मन के बासा के पता चलथे। रायगढ़ के पास कबरा पह…
उचित साहित्य लेखन म ही सार्थकता लेखन म कुछ न कुछ भाव दिखय छत्तीसगढ़ी साहित्य के उपलब्धता अगर देखे जाय तव ना पहिली रहिस ना अभी हे...काबर के कहुँ शहर भर मा एकाक ठन दुकान मा चार किसम के पुस्तक मिल जथे तव…
वर दे माँ शारदे (सरसी छन्द) दे अइसन वरदान शारदा, दे अइसन वरदान। गुण गियान यश जश बढ़ जावय,बाढ़ै झन अभिमान। तोर कृपा नित होवत राहय, होय कलम अउ धार। बने बात ला पढ़ लिख के मैं, बढ़ा सकौं संस्कार। मरहम बने कल…
पिरीत के पानी म मया के रंग घोरे, आगे पहुना बसंत देख तो रे । मया-पिरीत म जग- जिनगी…
*पिंवरी पहिर सरसों झूमे* पिंवरी पहिर सरसों झूमे। तितली भौंरा मया म चूमे।। अरसी ह बांधे अईंठी मुरेरी पागा। बटरा तिंवरा ढिले, पिरीत के तागा।। पुरवइहा बइहा बन घूमे । पिंवरी पहिर सरसों झूमे।। ढोलक बजावत …
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